Uncategorized

A.K. Chandran v/s Sreejith: Crl. Appeal No. – 1387/2008…

चेक अनादरण—दोष-मुक्ति के विरुद्ध अपील—विवादित चेक पर हस्ताक्षर एवं लेखन दोनों ही भिन्न-भिन्न स्याही से किए गए थे—शिकायतकर्ता के बयान में चेक के निष्पादन के संबंध में असंगति पाई गई—चेक के निर्गमन की किसी विशिष्ट तिथि के अभाव ने शिकायतकर्ता के मामले को और अधिक दुर्बल बना दिया—चेक अनादरण का अपराध अपनी प्रकृति में नियामक […]

A.K. Chandran v/s Sreejith: Crl. Appeal No. – 1387/2008… Read More »

Pavul Yesu Dhasan v/s The Registrar: S.L.P. (Civil)No. – 20028/2022…

मानव अधिकार उल्लंघन—मानव गरिमा—पुलिस का दुराचरण—प्राथमिकी दर्ज न करना व अभद्र भाषा का प्रयोग— क्षतिपूर्ति प्रदान किए जाने के आदेश की वैधता—पुलिस निरीक्षक द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने से इंकार करना तथा शिकायतकर्ता की माता के प्रति अपने राजकीय कर्तव्यों का पालन करते हुए अशोभनीय, अपमानजनक एवं असभ्य भाषा का प्रयोग करना भारतीय संविधान

Pavul Yesu Dhasan v/s The Registrar: S.L.P. (Civil)No. – 20028/2022… Read More »

Ranganath v/s State Of Maharashtra: Crl. Writ Pet. No.- 1299/2025…

डिफ़ॉल्ट ज़मानत—न्यायिक रिमांड—धारा 187(3) के आज्ञापक प्रावधान का अनुपालन—स्वतंत्रता का संवैधानिक संरक्षण—जाँच अधिकारी द्वारा न्यायिक-अभिरक्षा के दौरान धारा 316(5) का प्रयोग करते हुए नए या अधिक गंभीर अपराध जोड़े जाने पर यदि धारा 187(3) बी.एन.एस.एस. के वैधानिक प्रावधान का अनुपालन नहीं किया गया है तो ऐसी रिमांड की प्रक्रिया अवैध (vitiated) मानी जाएगी—आरोपी को किसी

Ranganath v/s State Of Maharashtra: Crl. Writ Pet. No.- 1299/2025… Read More »

Manju Arora v/s Neelam Arora: Crl. Misc. Application No.-64541/2025…

घरेलू हिंसा से महिलाओं संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 19(1)(f), 2(s) एवं 17—माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 2007—साझा-गृहस्थी—घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम, 2005 के अंतर्गत प्रदत्त निवास का अधिकार (Right of Residence) एक संरक्षणात्मक अधिकार है न कि स्वामित्वाधारित अधिकार—इस अधिनियम का उद्देश्य स्त्री को सुरक्षा एवं आश्रय प्रदान करना है

Manju Arora v/s Neelam Arora: Crl. Misc. Application No.-64541/2025… Read More »

Legal Update:Section 37 – Acts against which there is no right of private defence…

🪶 धारा 37 – ऐसे कार्य जिनके विरुद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार नहीं होता (Section 37 – Acts against which there is no right of private defence) 📘 संदर्भ (Reference): यह धारा भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 99 के समान है। ⚖️ मुख्य प्रावधान (Main Provision): निजी प्रतिरक्षा (Right of Private Defence) का अधिकार

Legal Update:Section 37 – Acts against which there is no right of private defence… Read More »

Legal Update:विवाह वैध रूप से धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ है, तो उसका रजिस्ट्रेशन न होने पर भी वह विवाह वैध माना जाएगा।”

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) के न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम (Justice Manish Kumar Nigam) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया है कि — “यदि विवाह वैध रूप से धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ है, तो उसका रजिस्ट्रेशन न होने पर भी वह विवाह वैध माना जाएगा।” अर्थात, अगर शादी

Legal Update:विवाह वैध रूप से धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ है, तो उसका रजिस्ट्रेशन न होने पर भी वह विवाह वैध माना जाएगा।” Read More »

Abdul Qayoom vs. Union Territory of Jammu and Kashmir CRMM 686/23 17/10/25…

🏛️ HIGH COURT OF JAMMU AND KASHMIR Sections 420, 467, 468 IPC Allegations of criminal conduct in property dispute Mere existence of civil proceedings regarding ancestral property does not bar registration of criminal case where allegations disclose cognizable offences – Held, allegations of forgery and manipulation of revenue records, if proven, would attract criminal liability

Abdul Qayoom vs. Union Territory of Jammu and Kashmir CRMM 686/23 17/10/25… Read More »