Legal Update:Section 37 – Acts against which there is no right of private defence…

🪶 धारा 37 – ऐसे कार्य जिनके विरुद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार नहीं होता

(Section 37 – Acts against which there is no right of private defence)


📘 संदर्भ (Reference):

यह धारा भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 99 के समान है।


⚖️ मुख्य प्रावधान (Main Provision):

निजी प्रतिरक्षा (Right of Private Defence) का अधिकार निम्नलिखित परिस्थितियों में नहीं होता –


🩸 (1) लोक सेवक (Public Servant) द्वारा किया गया कार्य:

यदि कोई लोक सेवक अपने पद के अधिकार के अंतर्गत सद्भावना (Good Faith) से कोई कार्य करता है,
और वह कार्य भले ही कानूनन पूरी तरह उचित न हो,
फिर भी यदि उस कार्य से मृत्यु या गंभीर चोट का यथार्थ भय नहीं उत्पन्न होता,
तो उसके विरुद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार नहीं होता।

🖋️ उदाहरण:
यदि कोई पुलिस अधिकारी कानून के अंतर्गत गिरफ्तारी करने आता है,
और व्यक्ति जानता है कि वह पुलिस अधिकारी है,
तो उसे अधिकारी पर आक्रमण करने का अधिकार नहीं होगा।


⚖️ (2) लोक सेवक के आदेश पर कार्य:

यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक के आदेश (Direction) पर कार्य कर रहा है,
और वह कार्य भले ही विधि के अनुसार न हो,
परंतु उससे मृत्यु या गंभीर चोट का उचित भय नहीं उत्पन्न होता,
तो उस कार्य के विरुद्ध भी निजी प्रतिरक्षा का अधिकार नहीं होगा।


⏳ (3) जब सार्वजनिक अधिकारियों की सहायता उपलब्ध हो:

यदि किसी व्यक्ति के पास समय है कि वह सार्वजनिक अधिकारियों (Public Authorities) की सहायता प्राप्त कर सके,
तो ऐसे मामलों में भी निजी प्रतिरक्षा का अधिकार लागू नहीं होता।


⚠️ सीमा (Limitation):

निजी प्रतिरक्षा का अधिकार कभी भी आवश्यक से अधिक हानि पहुँचाने तक विस्तारित नहीं होता।
अर्थात् — जितनी हानि बचाव के लिए आवश्यक है, केवल उतनी ही की जा सकती है।

🧾 स्पष्टीकरण (Explanations):

✳️ स्पष्टीकरण 1:

यदि कोई व्यक्ति यह नहीं जानता या उसे विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि कार्य करने वाला व्यक्ति लोक सेवक है,
तो वह व्यक्ति अपने निजी प्रतिरक्षा के अधिकार से वंचित नहीं होगा।

🖋️ उदाहरण:
अगर कोई व्यक्ति सादी वर्दी में बिना बताए गिरफ्तारी करने आता है,
और सामने वाला नहीं जानता कि वह पुलिस अधिकारी है,
तो उसे प्रतिरक्षा का अधिकार रहेगा।


✳️ स्पष्टीकरण 2:

यदि कोई व्यक्ति लोक सेवक के आदेश पर कार्य कर रहा है,
तो जब तक वह यह नहीं बताता या दिखाता कि वह ऐसे आदेश पर कार्य कर रहा है,
या जब तक वह लिखित आदेश प्रस्तुत नहीं करता (यदि माँगा जाए),
तब तक निजी प्रतिरक्षा का अधिकार समाप्त नहीं होगा।

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