
मानव अधिकार उल्लंघन—मानव गरिमा—पुलिस का दुराचरण—प्राथमिकी दर्ज न करना व अभद्र भाषा का प्रयोग— क्षतिपूर्ति प्रदान किए जाने के आदेश की वैधता—पुलिस निरीक्षक द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने से इंकार करना तथा शिकायतकर्ता की माता के प्रति अपने राजकीय कर्तव्यों का पालन करते हुए अशोभनीय, अपमानजनक एवं असभ्य भाषा का प्रयोग करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत शिकायतकर्ता के जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है—यह कृत्य मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 2(1)(d) के अर्थ में “मानवाधिकारों के उल्लंघन” की श्रेणी में भी आता है—हर नागरिक, जो किसी अपराध की सूचना देने अथवा शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के समक्ष जाता है उसे एक अपराधी के समान नहीं बल्कि सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किए जाने का अधिकार है—पुलिस अधिकारी का ऐसा आचरण, जो प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने जैसे वैधानिक दायित्व से विमुख हो और साथ ही अपमानजनक भाषा का प्रयोग करे, नागरिक के मौलिक अधिकारों का स्पष्ट अतिक्रमण है—ऐसा व्यवहार, न्याय की माँग करने वाले एक अधिकार-संपन्न नागरिक का अवमूल्यन करता है और उसके जीवन जीने के अधिकार , जिसमें गरिमा के साथ जीवन यापन का अधिकार निहित है, का हनन करता है—अतः राज्य आयोग द्वारा शिकायतकर्ता को ₹2,00,000/- (दो लाख रुपये) की क्षतिपूर्ति प्रदान करने का आदेश उचित एवं न्यायोचित है—अपील खारिज की जाती है।
