Manju Arora v/s Neelam Arora: Crl. Misc. Application No.-64541/2025…

घरेलू हिंसा से महिलाओं संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 19(1)(f), 2(s) एवं 17—माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 2007—साझा-गृहस्थी—घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम, 2005 के अंतर्गत प्रदत्त निवास का अधिकार (Right of Residence) एक संरक्षणात्मक अधिकार है न कि स्वामित्वाधारित अधिकार—इस अधिनियम का उद्देश्य स्त्री को सुरक्षा एवं आश्रय प्रदान करना है न कि पति या ससुराल पक्ष की स्व- अर्जित संपत्ति पर स्थायी रूप से कब्ज़ा करवाना—जहाँ पति-पत्नी अथवा परिवारजनों के मध्य सह-निवास शत्रुता या असहनीय परिस्थितियों के कारण व्यावहारिक रूप से असंभव हो गया हो, वहाँ स्त्री के निवास अधिकार की पर्याप्त सुरक्षा धारा 19(1)(f) के अंतर्गत वैकल्पिक-आवास की व्यवस्था द्वारा की जा सकती है—यह व्यवस्था स्त्री की सुरक्षा और स्थायित्व सुनिश्चित करती है परंतु यह न तो समान भौतिक विलासिता की गारंटी देती है और न ही पति के पारिवारिक आवास में स्थायी निवास का अधिकार प्रदान करती है—इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ नागरिकों अथवा सास्-ससुर के अपनी स्व-अर्जित संपत्ति में गरिमा और शांति से निवास करने के अधिकार को बहू के अधिकारों द्वारा समाप्त नहीं किया जा सकता—अतः न्यायालयों का दायित्व है कि वे इस प्रकार के अंतर-पीढ़ीगत अधिकारों (intergenerational rights) के टकराव में संतुलन एवं समरसता बनाए रखें—ताकि स्त्री की सुरक्षा और वरिष्ठजनों की शांति एवं गरिमा—दोनों का संरक्षण हो सके—विधि का उद्देश्य केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि ऐसी स्थिति का निर्माण करना है जहाँ सुरक्षा और शांति दोनों का समन्वय संभव हो, विशेषतः तब जब बहु-पीढ़ीय पारिवारिक संबंध अपरिवर्तनीय रूप से विच्छिन्न हो चुके हों।

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