admin_nupur

Ram Prakash v/s State Of Madhya Pradesh..वैवाहिक क्रूरता और दहेज की माँग के अस्पष्ट आरोप और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग…

वैवाहिक क्रूरता और दहेज की माँग के अस्पष्ट आरोप और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग—पत्नी द्वारा मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, दहेज की माँग और आपराधिक धमकी के आरोप अस्पष्ट थे, जिनमें समय, तारीख या स्थान का कोई विशेष विवरण नहीं था—ऐसे बेबुनियाद और अस्पष्ट आरोपों के आधार पर मुकदमा चलाना न्यायसंगत नहीं है—ठोस विवरणों की अनुपस्थिति …

Ram Prakash v/s State Of Madhya Pradesh..वैवाहिक क्रूरता और दहेज की माँग के अस्पष्ट आरोप और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग… Read More »

Satish Kumar Ravi v. State of Jharkhand & Anr.

The Supreme Court recently observed that a charge sheet cannot be filed after a court passes an interim order restraining the state from taking coercive action against the accused in a criminal case, A bench of Justice Abhay Oka and Justice Augustine George Masih discharged contempt notices issued to three officers of the Jharkhand Police …

Satish Kumar Ravi v. State of Jharkhand & Anr. Read More »

सनी कुमार बनाम बिहार राज्य और अन्य..अनुकंपा नियुक्ति के लिए 5 वर्ष की समय-सीमा उस तिथि से शुरू होती है, जब कार्रवाई का कारण उत्पन्न होता है’: पटना हाईकोर्ट…

अनुकंपा नियुक्ति के लिए 5 वर्ष की समय-सीमा उस तिथि से शुरू होती है, जब कार्रवाई का कारण उत्पन्न होता है’: पटना हाईकोर्ट पटना हाईकोर्ट की जस्टिस पी.बी. बजंथरी और जस्टिस एस.बी. पीडी. सिंह की खंडपीठ ने उस निर्णय को चुनौती देने वाली अपील स्वीकार की, जिसमें कांस्टेबल के पद पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए …

सनी कुमार बनाम बिहार राज्य और अन्य..अनुकंपा नियुक्ति के लिए 5 वर्ष की समय-सीमा उस तिथि से शुरू होती है, जब कार्रवाई का कारण उत्पन्न होता है’: पटना हाईकोर्ट… Read More »

RAMAKANT AMBALAL CHOKSI VS HARISH AMBALAL CHOKSI & OTHERS…

The Supreme Court recently cautioned the Appellate Courts against casually interfering with well-reasoned interlocutory orders passed by the trial courts, stating that the Appellate Court’s discretion in vacating the interlocutory order should only be exercised if it is shown that the interlocutory order was arbitrary, capricious, perverse, or contrary to established legal principles. “The appellate …

RAMAKANT AMBALAL CHOKSI VS HARISH AMBALAL CHOKSI & OTHERS… Read More »

Vasumathi v/s R. Vasudevan.. S.A. No. – 527/2022…

हिन्दू विधि—विभाजन-विधि—आंशिक/एकल बँटवारा—हिंदू विधि के अन्तर्गत सँयुक्त परिवार की सम्पत्ति का विभाजन तब प्रभावी होता है जब एक अंशकर्ता/सहभागी/कोपार्सेनर यह माँग करता है कि वह संयुक्त-परिवार से अलग होना चाहता है और सँयुक्त परिवार की संपत्ति का बँटवारा चाहता है—यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि संपत्ति में इस प्रकार हुआ बँटवारा या तो सभी सहभागियों के …

Vasumathi v/s R. Vasudevan.. S.A. No. – 527/2022… Read More »

Civil Remedies…

Civil Remedies File a suit for a permanent injunction in the civil court to restrain the neighbor from encroaching or interfering with the property. If the encroachment is ongoing, seek a temporary injunction under Order 39 Rule 1 and 2 of the Code of Civil Procedure, 1908, to stop the encroachment until the case is …

Civil Remedies… Read More »

M/s Glazebooke Trading V/s M/s Orbis Trusteeship…

क्या चैक-अनादरण के मामले में कंपनी पर डिमांड-नोटिस की तामील को सभी निदेशकों पर तामील मानना चाहिए—निर्णय, हाँ—एन०आई०एक्ट अधिनियम की धारा 141 के तहत प्रत्येक निदेशक को व्यक्तिगत रूप से नोटिस भेजना आवश्यक नहीं है—कंपनी पर डिमांड-नोटिस की तामील ही उन निदेशकों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही आरम्भ करने के लिए पर्याप्त है जो कंपनी के …

M/s Glazebooke Trading V/s M/s Orbis Trusteeship… Read More »

केस टाइटलः बशीर खान बनाम इशरत बानो…

मुसलिम कानून के तहत ससुर को बेटे की विधवा को भरण-पोषण देने की बाध्यता नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ⚫ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने दोहराया है कि मुस्लिम कानून के तहत ससुर को अपने मृतक बेटे की विधवा को वित्तीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल …

केस टाइटलः बशीर खान बनाम इशरत बानो… Read More »

R.S. Gupta V/s A. Gupta…Crl. Appeal No. – 325/2015…

मानसिक क्रूरता—संभोग से इंकार—पति द्वारा दायर याचिका खारिज—जहाँ पक्षों ने सामान्य वैवाहिक संबंध साझा किए, जिसके परिणामस्वरूप दो बच्चों का जन्म हुआ, वहाँ क्षमता या अंतरंगता के इंकार का कोई आधार स्थापित नहीं किया जा सकता—अदालत सहमति देने वाले पक्षों के निजी संबंधों की प्रकृति को निर्धारित नहीं कर सकती—इन आधारों पर विवाह-विच्छेद के लिए, …

R.S. Gupta V/s A. Gupta…Crl. Appeal No. – 325/2015… Read More »