मां की कमाई का भरण पोषण से कोई लेना-देना
नहीं,
बच्चों की पूरी जिम्मेदारी पिता की
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया है कि बच्चों के भरण-पोषण की पूरी जिम्मेदारी पिता की
होगी,
भले ही मां अच्छी आय क्यों न कमा रही हो।
अदालत ने कहा कि मां की आय को आधार बनाकर पिता अपने कर्तव्य से नहीं बच सकता,
विशेष रूप से तब जब पिता आर्थिक रूप से अधिक #सक्षम हो।
मामला क्या था?
एक तलाकशुदा व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि उसकी पूर्व पत्नी नौकरीपेशा
है
और ₹75,000 से ₹80,000 मासिक कमाती है,
इसलिए बच्चों की परवरिश का खर्च दोनों के बीच बराबर-बराबर बांटा जाना चाहिए।
लेकिन अदालत ने इस दलील को पूरी तरह खारिज कर दिया।
अदालत की टिप्पणियां
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा –
पिता की मासिक आय लगभग ₹1.75 लाख है, इसलिए बच्चों के पूरे भरण-पोषण का दायित्व उसी पर होना चाहिए।
मां की आमदनी से यह जिम्मेदारी कम नहीं होती।
भरण-पोषण का अर्थ केवल खाना, कपड़े और मकान तक सीमित नहीं
है,
बल्कि शिक्षा, अतिरिक्त गतिविधियां और बच्चे की गरिमा बनाए रखने तक फैला है।
मां की दोहरी भूमिका
अदालत ने माना कि मां न केवल नौकरी करती है, बल्कि बच्चों की मुख्य देखभालकर्ता भी है।
उसके ऊपर भावनात्मक और शारीरिक जिम्मेदारियां हैं।
यह बोझ पैसों में नहीं आंका जा सकता।
अदालत की अंतिम टिप्पणी
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया –
“जब मां बच्चों की देखभाल में पूरा समय देती है और पिता आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम है,
तो भरण-पोषण की पूरी जिम्मेदारी पिता की ही होगी।”
निष्कर्ष-
यह फैसला उन मामलों के लिए महत्वपूर्ण मिसाल है जहां पिता मां की आय का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करता है।
अदालत ने संदेश दिया कि बच्चे की परवरिश केवल वित्तीय गणना का विषय नहीं,
बल्कि एक नैतिक और सामाजिक दायित्व है।
केस शीर्षक: XYZ v. ABC (Delhi High Court, 2025)
