Chakki Lal v/s State Of Madhya Pradesh: Crl. Appeal No.-13371/2024

विवाहित महिला की मृत्यु—भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के अंतर्गत दोषसिद्धि निरस्त—जहाँ एक विवाहित महिला की जलने से मृत्यु हुई, वहाँ घटना के 16 दिन बाद दर्ज किया गया मृत्युकालिक-कथन अविश्वसनीय पाया गया—मृत्युकालिक-कथन के समय मृतका की मानसिक स्थिति के संबंध में चिकित्सक द्वारा कोई स्पष्ट प्रमाणीकरण नहीं किया गया था तथा यह भी स्पष्ट नहीं था कि उसने यह कथन स्वेच्छा से और सचेत अवस्था में दिया था—मृतका इलाज के पूरे अंतराल के दौरान अपने पारिवारिक रिश्तेदारों की अभिरक्षा में रही—जिससे उसके कथन को प्रेरणा या ट्यूटरिंग की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता—चिकित्सक की द्वारा यह नहीं बताया कि मृत्यु आत्महत्या, हत्या या दुर्घटना में से किस कारण से हुई—साक्ष्य में विरोधाभासों और प्रक्रियागत त्रुटियों का न्यायालय द्वारा समुचित मूल्यांकन न किया जाना पाया गया—एक गवाह ने स्वीकार किया कि दहेज की माँग के संबंध में इस घटना से पूर्व कभी पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी—सिर्फ इसलिए कि अभियोजन पक्ष के गवाह या सरकारी चिकित्सक हैं, उनके कथन को सत्य मान लेना कानून नहीं है—अतः मृत्युकालिक-कथन संदिग्ध और असुरक्षित है तथा इसे दोषसिद्धि के एकमात्र आधार के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता—परिणामस्वरूप, अपील स्वीकार की जाती है एवं दोषसिद्धि निरस्त की जाती है।

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