
विवाह विच्छेद की डिक्री—मानसिक क्रूरता—पति के पक्ष में पारित—पत्नी के निरन्तर परपुरुष से संपर्क—जहाँ पत्नी ने दो व्यक्तियों के साथ निरंतर टेलीफोनिक एवं संदेशात्मक संवाद बनाए रखने की बात स्वीकार की, परंतु वह यह सिद्ध करने में असफल रही कि उक्त संवाद केवल व्यावसायिक प्रयोजन हेतु थे—पत्नी की टालमटोल भरी गवाही, असंगत कथन तथा अस्पष्ट आचरण ने वैवाहिक विश्वास को नष्ट कर मानसिक क्रूरता गठित की, जिससे पति को भावनात्मक परित्याग का अनुभव हुआ—यद्यपि व्यभिचार का प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं था, तथापि पत्नी के निरंतर आचरण से नैतिक विश्वासघात की युक्तियुक्त आशंका उत्पन्न हुई—ऐसा अविश्वासी आचरण मानसिक क्रूरता का मूक, धीमा किंतु विनाशकारी स्वरूप है जो दाम्पत्य संबंधों की नींव, पारस्परिक विश्वास एवं सहचर्य को अंदरूनी रूप से नष्ट करता है—पति पर वित्तीय क्रूरता अथवा धन के दुरुपयोग के आरोप प्रमाणरहित और अविश्वसनीय पाए गए—पति के चरित्र के विरुद्ध झूठे एवं अतिरंजित आरोप लगाना भी क्रूरता को और गंभीर बनाता है—अपील निराधार पाई गई—अतः खारिज।
