रिमांड के बाद न्यायिक हिरासत—अनुसंधान हेतु अनुरोध—दंड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.) की धारा 50 में प्रयुक्त “तुरन्त” शब्द का तात्पर्य यह है कि गिरफ्तारी के आधार को बिना किसी विलंब के तुरंत गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को सूचित किया जाए—यदि पुलिस द्वारा इस प्रकार की सूचना रिमांड की सुनवाई से ठीक पहले दी जाती है, तो यह वैधानिक आवश्यकता को पूरा नहीं करता—गिरफ्तार व्यक्ति को अपने विधिक परामर्शदाता से परामर्श करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए ताकि वह अपनी रिमांड/हिरासत का सार्थक रूप से विरोध कर सके—स्वतंत्रता का हनन यांत्रिक रूप से या अनावश्यक रूप से नहीं किया जाना चाहिए।
