
विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963—धारा 31 व 34—दोनों विधिक प्रावधानों में अन्तर—संविदा के अनुपालन में विवादित दस्तावेज़ के संबंध में उपयुक्त राहत निर्धारित करते समय वादी की स्थिति तथा उसके द्वारा प्रतिपादित अधिकार का स्वरूप, निर्णायक तत्व होते हैं—जहाँ वादी स्वयं प्रश्नगत दस्तावेज़ का पक्षकार हो, वहाँ क़ानून धारा 31 के अंतर्गत रद्दीकरण (cancellation) की प्रार्थना को अनिवार्य ठहराता है—इसके विपरीत, जहाँ वादी उस दस्तावेज़ का पक्षकार न हो, वहाँ उपयुक्त राहत धारा 34 के अंतर्गत यह घोषणा (declaration) माँगना है कि संबंधित दस्तावेज़ उसके अधिकारों को बाधित नहीं करता और न ही उस पर प्रभाव डालता है।
