Legal Update:“नाबालिग (Minor) की संपत्ति का कोई भी विक्रय, गिरवी या हस्तांतरण बिना न्यायालय की अनुमति (Court’s Permission) के वैध नहीं होता।…

“नाबालिग (Minor) की संपत्ति का कोई भी विक्रय, गिरवी या हस्तांतरण बिना न्यायालय की अनुमति (Court’s Permission) के वैध नहीं होता।”

यह सिद्धांत भारतीय संरक्षक और वार्ड अधिनियम, 1890 (Guardian and Wards Act, 1890) की धारा 29 में भी स्पष्ट रूप से दर्ज है।

⚖️ मुख्य कानूनी बिंदु

  1. न्यायालय की अनुमति आवश्यक:
    यदि किसी नाबालिग की संपत्ति (चल/अचल) को बेचना या गिरवी रखना है, तो अभिभावक को पहले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट या संबंधित न्यायालय से अनुमति लेनी होगी।
  2. अनुमति के बिना बिक्री अवैध:
    बिना न्यायालय की अनुमति के किया गया ऐसा कोई विक्रय या हस्तांतरण शुरू से ही अवैध (void ab initio) माना जाएगा।
  3. नामंजूरी के लिए मुकदमे की आवश्यकता नहीं:
    यदि ऐसा विक्रय किया भी गया हो, तो नाबालिग (या बालिग होने पर स्वयं) को इसे रद्द कराने के लिए कोई नया मुकदमा दायर करने की आवश्यकता नहीं।
    यह सौदा स्वतः ही अमान्य माना जाएगा।
  4. संपत्ति वापस लेने का अधिकार:
    बालिग होने पर व्यक्ति सीधे कब्जा या स्वामित्व की बहाली के लिए दावा कर सकता है।
  5. संबंधित प्रावधान:

संरक्षक एवं वार्ड अधिनियम, 1890 — धारा 29

भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 — धारा 11 (नाबालिग का अनुबंध शून्य)

ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 — धारा 7 (केवल सक्षम व्यक्ति ही संपत्ति का हस्तांतरण कर सकता है)

🏛️ न्यायालयों का दृष्टिकोण

सुप्रीम कोर्ट:
Smt. Kanchana v. M. Selvaraj (2023) — कोर्ट ने कहा कि “नाबालिग की संपत्ति का विक्रय, कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना, शून्य और अमान्य है, इसे रद्द करने के लिए अलग से मुकदमा दायर करने की आवश्यकता नहीं।”

मद्रास हाईकोर्ट:
“ऐसा सौदा कभी अस्तित्व में आया ही नहीं माना जाएगा, क्योंकि अभिभावक को कानून ने ऐसी अनुमति बिना संपत्ति बेचने का अधिकार ही नहीं दिया।”

📘 सारांश

🔹 नाबालिग की संपत्ति बेचने के लिए कोर्ट की अनुमति अनिवार्य है।
🔹 अनुमति के बिना बिक्री अवैध और निरस्त मानी जाएगी।
🔹 इसे रद्द कराने के लिए मुकदमा दायर करने की भी आवश्यकता नहीं।

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