Smt. Bacchi Devi v/s State Of U.P. App. U/s 528, BNSS No.- 6400/2025…

अब सिर्फ़ एक ज़मानती देकर ही आरोपी/दोषी को ज़मानत पर छोड़ा जा सकता है। पूर्व की भाँति दो ज़मानती देना अनिवार्य नहीं है। मजिस्ट्रेट/अदालत को यह एक ज़मानती स्वीकार करनी होगी और यह निर्णय आरोपी की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को देखकर लिया जाएगा। ज़मानत की रकम भी आरोपी की वित्तीय क्षमता के अनुसार तय की जाएगी। अगर आरोपी को ज़मानत मिलने के बाद भी वह 7 दिन के भीतर उचित ज़मानती दाखिल नहीं कर पाता है तो जेल अधीक्षक को ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के सचिव को इसकी सूचना देनी होगी। इसके बाद DLSA सचिव को पैरालीगल वॉलंटियर या जेल विज़िटिंग अधिवक्ता भेजना होगा—ताकि कैदी को ज़मानत पर रिहा होने में मदद मिल सके।

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