भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के तहत दोषसिद्धि के लिए आवश्यक साक्ष्य और प्रक्रिया—
(1) साक्ष्य की आवश्यकता—
◆ दहेज-मृत्यु के मामले में अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होता है कि मृत्यु से ठीक पहले महिला को दहेज की माँग के संबंध में क्रूरता या उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था।
◆ एक विवाहित महिला की असामान्य मृत्यु स्वतः ही दहेज-मृत्यु के अपराध की दोष-सिद्धि का आधार नहीं बनती।
(2) साक्ष्य अधिनियम की धारा 113-बी—
◆ इस धारा के अनुसार, यदि यह दर्शित किया जाना आवश्यक है कि मृत्यु से ठीक पहले महिला को दहेज की माँग के संबंध में क्रूरता या उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था तो न्यायालय को यह उपधारणा करने की अनुमति है कि मृत्यु दहेज-मृत्यु थी।
◆ हालांकि, यह अनुमान तभी लगाया जा सकता है जब अभियोजन पक्ष ने इस सम्बन्ध में स्पष्ट और निर्विवाद साक्ष्य प्रस्तुत किए हों।
(3) साक्ष्यों का मूल्यांकन—
◆ अदालतों को दोष-सिद्धि के लिए स्पष्ट साक्ष्यों पर आधारित होना चाहिए न कि अनुमानों या भावनात्मक विचारों पर। गवाहों के बयानों में विरोधाभास, विशेष रूप से मृतका की माँ के बयानों में विरोधाभास, अभियोजन पक्ष के मामले को कमजोर कर सकते हैं।
◆ निचली अदालतें/विचारण न्यायालय अक्सर दहेज मृत्यु के मामलों में गलतियाँ करती हैं, जैसे कि साक्ष्यों का सही मूल्यांकन न करना या दोष-सिद्धि अनुमानों पर आधारित होना। इन त्रुटियों को रोकने के लिए राज्य न्यायिक अकादमियों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करने की आवश्यकता है।
◆ निचली अदालतें/विचारण न्यायालय दहेज मृत्यु के मामलों में सावधानी बरतें और गलत दोषसिद्धि से बचें।

