हिन्दू विधि—विभाजन-विधि—आंशिक/एकल बँटवारा—हिंदू विधि के अन्तर्गत सँयुक्त परिवार की सम्पत्ति का विभाजन तब प्रभावी होता है जब एक अंशकर्ता/सहभागी/कोपार्सेनर यह माँग करता है कि वह संयुक्त-परिवार से अलग होना चाहता है और सँयुक्त परिवार की संपत्ति का बँटवारा चाहता है—यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि संपत्ति में इस प्रकार हुआ बँटवारा या तो सभी सहभागियों के बीच पूर्ण रूप से हो सकता है या केवल वही बँटवारा केवल उस अंशकर्ता/सहभागी/कोपार्सेनर की हिस्सेदारी तक सीमित रह सकता है जिसने सँयुक्त परिवार से अलग होने की इच्छा व्यक्त की है—सभी सहभागियों के बीच पूर्ण विभाजन की आवश्यकता नहीं होती