Sushil kumar Jain v/s State of U.P.

धारा 143-ए, पराक्रम्य लिखित अधिनियम, के अंतर्गत अन्तरिम-प्रतिकर का प्रार्थना-पत्र धारा 251,दं०प्र०सं० के अंतर्गत आरोपी के बयान दर्ज किए जाने से पूर्व दायर नहीं किया जा सकता—आरोपी द्वारा बेल लेते समय उसे बेल दिए जाने की शर्त के रूप में 20% धनराशि जमा करने के लिए नहीं कहा जा सकता है।

0Shares

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *