क्या एक मुस्लिम महिला तलाक के मुकद्दमे में अंतरिम भरण-पोषण का दावा कर सकती है—हाँ, पत्नी का भरण-पोषण का अधिकार तब भी बना रहता है, जब वह अपने पति के साथ किसी वैध आधार पर साथ रहने से इनकार कर देती है—धारा 151, सी.पी.सी. में “अंतर्निहित” शब्द का अर्थ है कि न्यायालय के पास बिना किसी विशिष्ट कानूनी प्रावधान के अंतरिम भरण-पोषण देने का अधिकार है—जबकि संबंधित कानून की धारा 2(iv) में “किसी उचित कारण के बिना” इनकार का उल्लेख है, लेकिन धारा 2(ii) में ऐसी भाषा नहीं है—यख धारा पति पर अपनी पत्नी का लगातार भरण-पोषण करने का कर्तव्य अधिरोपित करता है—पति द्वारा ऐसा करने में विफल रहने पर पत्नी धारा 2(ii) के तहत दो साल की अवधि के बाद तलाक होल् सकती है—1939 के औपनिवेशिक कानून में अंतरिम भरण-पोषण का प्रावधान न होने के बावजूद, यह न्यायालय के अंतर्निहित अधिकार को प्रतिबंधित नहीं करता।

