मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा और कहा कि बलात्कार के मामलों में सहमति की उम्र 16 से बढ़ाकर 18 वर्ष करने से ‘समाज का ताना-बाना खराब हुआ है.’
हाईकोर्ट ने भारत सरकार से किशोर लड़कों के साथ हो रहे अन्याय के निवारण के लिए बलात्कार के मामलों में सहमति की उम्र 18 से घटाकर 16 वर्ष (IPC धारा 375 के अनुसार) करने पर विचार करने को कहा.
कोर्ट ने कहा- सोशल मीडिया जागरूकता और इंटरनेट कनेक्टिविटी की आसान पहुंच के कारण,प्यूबर्टी 14 वर्ष की आयु में आ जाती है. इस वजह से युवा लड़के और लड़कियों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बनते हैं. इन मामलों में, पुरुष बिल्कुल भी अपराधी नहीं हैं.
कोर्ट ने आगे कहा कि आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 में एक लड़की की यौन संबंध के लिए सहमति की उम्र (Age Of Consent) जो पहले 16 वर्ष थी, को बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया है. इससे समाज में लड़के के साथ अपराधी जैसा व्यवहार किया जाता है.
