Crpc की धारा 156-
=>Crpc की धारा 165 मे अन्वेषण के बारे बताती है।
अन्वेषण का मतलब विवेचना कर साक्ष्य प्राप्त करना होता है।
अन्वेषण सिर्फ पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाता है अगर पुलिस किसी मामले मे विवेचना नही करती तो वह उसका करण मजिस्ट्रेट को बताएँ गी जब crpc 173(2) के तहत रिपोर्ट न्यायालय भेजेगी तब ।
पुलिस अधिकारी हमेशा विवेचना case dairy (CD) मे लिखता है तथा CASE DAIRY हमेशा विवेचना अधिकारी के पास रहती है।
S.H.O. या थाने का भार साधक अधिकारी चाहे वह मामले का अन्वेषण स्वयं करे या अपने अधीनस्थ अधिकारीयो से कराऐ। यह उसके विवेकाधिकार पर निर्भर करता है ।
crpc की धारा 173(2) के तहत अगर साक्ष्य पर्याप्त है तो पुलिस charge sheet या चलान या आरोप पत्र न्यायालय भेजती है। यदि साक्ष्य अपर्याप्त है तो पुलिस अन्तिम रिपोर्ट/FR/FINAL REPORT/CLOSER REPORT न्यायालय भेजेगी।
=> पुलिस जब किसी मामले मे विवेचना करने के बाद FR/ FINAL REPORT/CLOSER REPORT/अन्तिम रिपोर्ट लगाती है तो सूचनादाता को PROTEST दाखिल करने का अधिकार प्राप्त होता और वह न्यायालय से पुनः विवेचना की मांग कर सकता है।
=> crpc की धारा 156(1) संज्ञेय मामले मे पुलिस अधिकारी बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के अन्वेषण कर सकता है।
=> crpc की धारा 156(3) के तहत संज्ञेय मामले मे जिसमे पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद मामले का जांच कर के पुलिस रिपोर्ट न्यायालय को भेजती है। या तो न्यायालय FIR का आदेश करेगा या स्वयं परिवाद दर्ज कर crpc के अध्याय 15, धारा 200 -203 तक की कार्यवाही करेगा।
=> crpc की धारा 156(3) के तहत संज्ञेय मामलो में मजिस्ट्रेट पुलिस को आदेश देगा और पुलिस उस आदेश का पालन करते हुऐ हूबहू FIR लिख कर प्रारम्भ करेगा। नोट- यहाँ पर पिवाद की कार्यवाही समाप्त नही होती बल्कि रोक दी जाती है। लेकिन परिवाद उसी तरह बना रहता है।
=> मिथ्या/ झूठा साक्ष्य देना IPCकी धारा 191 मे है और दण्ड IPC की धारा 193 मे।
=> crpc की धारा 2(L) पुलिस बिना वारेन्ट के गिरफ्तार नही कर सकती लेकिन crpc की धारा 42 सही सही नाम पता जानने के लिए गिरफ्तार कर सकती है।
=> अन्वेषण को crpc की धारा 2(h) मे परिभाषित किया गया है ।
=> अपराध की विवेचना CD मे पुलिस अधिकारी द्वारा लिखा जाता है।
=> थाने की कार्यवाही GD मे थाने के हेड कांस्टेबल द्वारा लिखा जाता है।
=> अन्वेषण की प्रक्रिया Crpc की धारा 157, 158, 159 मे दिया गया है ।
=> प्रारम्भिक रिपोर्ट पुलिस crpc की धारा 157 के तहत न्यायालय भेजती है।
=> आरम्भिक रिपोर्ट भेजने का तरीका crpc की धारा 158 मे बताया गया है।
====> मृत्युदण्ड के निष्पादन से सम्बंधित
=> Case दीना @ दीनदयाल बनाम भारत संघ
Crpc 354(5)
संविधान के दूसरी अनुसूची प्रा0 सं0 42
गर्दन मे रस्सी का फंदा डाल कर तब तक लटकाया जाये जब तक मर ना जाये
=> मजिस्ट्रेट का पुलिस की प्रारम्भिक रिपोर्ट पहुचने की धारा crpc 159 है।
==> crpc की धारा 159 के तहत मजिस्ट्रेट पुनः अन्वेषण का आदेश दे सकता है। पुलिस द्वारा आरम्भिक रिपोर्ट भेजने के बाद भी।
