किशोर अपचारी भी अग्रिम ज़मानत याचिका दायर करने का हक़दार है—धारा 438, दं०प्र०सं० में ऐसा कोई भी प्रतिबन्ध नहीं है जो एक किशोर अपचारी को अग्रिम ज़मानत याचिका दायर करने से रोके—एक किशोर अपचारी को भी अन्य व्यक्तियों के साथ समान अधिकार प्राप्त हैं—किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 15 के तहत जघन्य अपराध की धारा 14 के तहत किशोर अपचारी के सम्बन्ध में आवश्यक जाँच और प्रारंभिक मूल्यांकन (किशोरवयता का निर्धारण), अग्रिम जमानत पर रहते हुए भी किया जा सकता है।