Custody of Children/Guardianship/Visitation Rights…
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2024—धारा 193—अग्रिम विवेचना—स्वीकार्यता और प्रक्रिया—धारा 193(3) बी०एन०एस०एस० के तहत जाँच-रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद भी विवेचनाधिकारी के लिए अग्रिम-विवेचना निषिद्ध नहीं है—यदि विवेचनाधिकारी को अतिरिक्त साक्ष्य प्राप्त होते हैं, तो उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष एक पूरक रिपोर्ट (supplementary report) प्रस्तुत करनी होती है—मूल रिपोर्ट पर लागू प्रावधान पूरक रिपोर्टों पर भी
Gajendra S. Shekhawat v/s State Of Rajasthan… Read More »
Legal Procedure “Procedure is like a prism: when its medium is transparent, it refracts justice clearly; but when clouded, it bends towards injustice” Jurists’ Views on Procedural Fairness Case Laws Natural Justice principles too contain 2 Basic procedural aspects
विचारण न्यायालय द्वारा महादनामा (बिक्री-विलेख) के अनरजिस्टर्ड होने के कारण मुकद्दमा ख़ारिज कर दिया गया—यद्यपि कुछ दस्तावेजों के लिए पंजीकरण अनिवार्य है, लेकिन एक अनरजिस्टर्ड बिक्री विलेख को संविदा के विशिष्ट अनुपालन के मुकदमे में एक मौखिक समझौते को साबित करने के लिए सबूत के रूप में स्वीकार किया जा सकता है—ऐसा विलेख संपत्ति का
Smt. Reeta Dev’i v/s Smt. Nibha Devi… Read More »
धारा 451, दं०प्र०सं०—संपत्ति (सुपरदारी) का विमोचन—एक निजी डॉक्टर किराए के मकान में सरकारी डॉक्टर की निगरानी में क्लिनिक का संचालन कर रहा है—विवेचना अधिकारी द्वारा मकान को सील कर दिया गया—विचारण न्यायालय यह समझने में असमर्थ है कि संपत्ति का सूचीकरण के बाद सील हटाने से साक्ष्य पर कैसे प्रभाव पड़ेगा—विचारण न्यायालय को सुप्रीम कोर्ट
Deepak kumar v/s State of U.P. Read More »
Writ of “Habeas Corpus” in child custody cases Case Name – Somprabha Rana & Ors. v. State of Madhya Pradesh 2024 INSC 664 Coram – Abhay S. Oka and Augustine George Masih, JJ. Important Findings
Somprabha Rana & Ors. v. State of Madhya Pradesh 2024 INSC 664… Read More »
स्वीकृतिपूर्ण बयान और चिकित्सीय जाँच—विवेचना अधिकारी का विवेक—विवेचना अधिकारी को किसी भी गवाह का बयान धारा 183 बी.एन.एस.एस. (धारा 164, दं०प्र०सं०) के तहत दर्ज करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
Kajal v/s State of U.P. Read More »
■ हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की प्रतिस्थापित धारा 6 में निहित प्रावधान संशोधन से पहले या बाद में पैदा हुई पुत्री को पुत्र के समान अधिकार और दायित्व के रूप में सहदायिक (Coparcener) का दर्जा प्रदान करते हैं। ■ सहभागी सम्पत्ति में एक पुत्री का अधिकार जन्म से होता है और इसलिए, यह आवश्यक नहीं
Vineeta sharma v/s Rakesh Sharma.. Section 6 of Hindu Succession Act,1956… Read More »